Monday, June 3rd, 2024

जांच टीम ने कहा- चीन और WHO की वजह से खत्म हुईं लाखों जिंदगियां 

 नई दिल्ली 
वैश्विक महामारी की जांच करने वाले इस स्वतंत्र समूह ने निष्कर्ष निकाला है कि जब चीन में कोरोना का पहला मामला सामने आया था, तब विश्व स्वास्थ्य संगठन और बीजिंग तेजी से काम कर सकते थे। चीन से निकलकर पूरी दुनिया में जिस कोरोना वायरस ने तबाही मचाई, उसे लेकर एक हैरान करने वाला खुलासा सामने आया है, जिसमें चीन और विश्व स्वास्थ्य संगठन की निष्क्रियता लाखों जिंदगियां खत्म हुई हैं। एक स्वतंत्र पैनल (इंडिपेंडेंट पैनल फॉर पैन्डेमिक प्रिपेयर्डनेस एंड रिस्पॉन्स) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है अगर चीन चाहता तो कोरोना वायरस को महामारी बनने से रोका जा सकता था, मगर उसने समय रहते काबू नहीं किया। 

इतना ही नहीं, इसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन को भी जिम्मेदार ठहराया गया है। मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया और उन दोनों की लापरवाही की वजह से दुनियाभर में कोरोना फैला।महामारी संबंधी तैयारियों और प्रतिक्रिया के लिए स्वतंत्र पैनल ने अपनी दूसरी रिपोर्ट में कहा कि महामारी प्रकोप के प्रारंभिक चरण के क्रोनोलॉजी का मुल्यांकन इस बात की ओर इशारा करता है कि शुरुआती संकेतों के बाद अधिक तेजी से काम करने की आवश्यकता थी। 

गौरतलब है कि 2019 के आखिर में चीन के वुहान शहर में कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आया था। चीन जब तक इस खतरनाक वायरस को अपनी सीमाओं तक सीमित रखता, इससे पहले ही यह वैश्विक महामारी बन हई और इससे करीब 20 लाख से अधिक लोगों की मौत हो गई और कई अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान हुआ। अपनी रिपोर्ट में पैनल ने पाया कि यह स्पष्ट दिखा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों को जनवरी महीने में ही चीन में स्थानीय और राष्ट्रीय स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा अधिक बलपूर्वक लागू किया जा सकता था। 

इस पैनल ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की भी आलोचना की है और कहा कि संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने 22 जनवरी, 2020 तक अपनी आपातकालीन समिति को भी इस महामारी संकट की सूचना नहीं दी और न ही बैठक बुलाई। और समिति नोवल कोरोना वायरस को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल के रूप में भी समय से पहले घोषित करने में असफल रही थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह अब तक स्पष्ट नहीं है कि समिति जनवरी के तीसरे सप्ताह तक क्यों नहीं मिली और न ही यह स्पष्ट है कि यह राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा पर सहमत क्यों नहीं हो पाई? जब से कोरोना वायरस का संकट पूरी दुनिया में गहराया तब से ही इसके जवाबी कार्रवाई में ढीलापन को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन की आलोचना हो रही है।

  
 

Source : Agency

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